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अवैध बजरी से परेशान राजस्थान की जनता, खनिज विभाग की हो रही चांदी।

अवैध बजरी से परेशान राजस्थान की जनता, खनिज विभाग की हो रही चांदी।


जयपुर : राज्य में बजरी के अवैध खनन और परिवहन के कारण सस्ती बजरी नहीं मिलने से भले ही जनता परेशान हो रही है, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई से खनिज विभाग की चांदी हो रही है, विभाग ने अवैध बजरी खनन और परिवहन के मामले में 36,602 प्रकरण दर्ज कर 229 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूल की है।

माइंस एवं पेट्रोलियम मंत्री प्रमोद जैन भाया की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि माइंस विभाग द्वारा पुलिस में 3295 एफआईआर कराने के साथ ही 37445 वाहनों, मशीन और उपकरणों की जब्ती की है, रवन्नाओं के दुरुपयोग और अवैध बजरी खनन और परिवहन के दुरुपयोग के मामलों में खनन पट्टे खंडित करने जैसे सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

केंद्र में 68 मामलों में पर्यावरण अनुमति नहीं मिल रही 

मंत्री भाया ने बताया कि मई, 2021 में भीलवाड़ा व जालौर जिलों में तीन खनन लाइसेंस जारी करने से बजरी समस्या के समाधान की राह खुली है, इससे प्रदेश की बजरी की कुल मांग की लगभग दस प्रतिशत आपूर्ति हो सकेगी, विभाग द्वारा पांच अन्य लाइसेंस जारी करने के प्रयास जारी हैं, बीकानेर में पेलियो चेनल्स में पूर्व में स्वीकृत 80 बजरी खनन पट्टों सहित राज्य में बजरी के 281 खनन पट्टे खातेदारी भूमि में प्रभावशील है. केन्द्र सरकार के स्तर पर वर्ष 2013 से बजरी खनन के 68 मामलें पर्यावरण अनुमति हेतु लंबित चल रहे हैं।


एम सेंड को बताया बजरी का विकल्प

मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि बजरी खनन पर रोक से उत्पन्न समस्या के समाधान के लिए मेन्यूफैक्चर्ड सेंड को विकल्प के रुप में लेने हेतु हुए एम सेंड नीति जारी की है, जिससे प्रदेश में बजरी के विकल्प की उपलब्धता और ओवरबर्डन की समस्या के समाधान के साथ ही इस क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. राज्य सरकार के विभागों और उपक्रमों के निर्माण कार्य में न्यूनतम 25 प्रतिशत एम सेंड के उपयोग के निर्देश जारी किए हैं, जिससे एम सेंड को बढ़ावा मिलेगा.


नदियों से पांच किमी दूर नहीं, 45 मीटर हो लीज 

एसीएस माइंस सुबोध अग्रवाल ने बताया कि केन्द्र सरकार की सेंड माइनिंग गाइडलाईंस, 2020 में नदियों से पांच किलोमीटर की दूरी तक खातेदारी भूमि में बजरी लीज के आवंटन पर रोक के कारण लाइसेंस जारी नहीं हो पा रहे हैं, केन्द्र से नदियों से पांच किमी के स्थान पर 45 मीटर की दूरी पश्चात् आवंटन अनुमत किए जाने का आग्रह किया है।


बजरी की समस्या के समाधान को लेकर बरती जा रही गंभीरता

बजरी की समस्या के समाधान को लेकर गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि नदियों से बजरी खनन पर 16 नवंबर, 2017 से सुप्रीम कोर्ट की चली आ रही रोक के कारण सुप्रीम कोर्ट में भी राज्य के हितों को प्रभावी तरीके से रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त किया गया वहीं, सेन्ट्रल एंपावर्ड कमेटी के राज्य के बजरी प्रभावित जिलों के दौरे के दौरान राज्य का पक्ष कारगर तरीके से रखा गया।